डोर क्लोज़र बनाने का बिजनेस कैसे शुरू करें? (Door Closer Manufacturing Business)

परिचय

डोर क्लोज़र बनाने का बिजनेस यानिकी Door Closer Manufacturing Business पर बात करना इसलिए जरुरी हो जाता है, क्योंकि आजकल इनका इस्तेमाल बहुत अधिक बढ़ने लगा है। जहाँ कुछ साल पहले तक डोर क्लोज़र का इस्तेमाल केवल ऑफिस और व्यवसायिक बिल्डिंग में देखने को मिलता था, वर्तमान में लोग अपने घरों के दरवाजों में भी इनका इस्तेमाल करने लगे हैं।

डोर क्लोज़र क्या होता है?

एक डोर क्लोज़र एक यांत्रिक उपकरण होता है जिसे दरवाजों पर लगाया जाता है ताकि यह दरवाजों को ऑटोमेटिक बंद कर दे। जब दरवाजे को किसी व्यक्ति द्वारा धक्का देकर खोला जाता है तो डोर क्लोज़र उस खुले हुए दरवाजे को धीरे-धीरे ऑटोमेटिक बंद कर देता है।

बाजार में कई तरह के डोर क्लोज़र उपलब्ध हैं, लेकिन इनका मुख्य काम दरवाजे को ऑटोमेटिक बंद करना ही होता है। ताकि कमरे के तापमान को बनाया रखा जा सके।

इस डोर क्लोज़र में दरवाजे को स्वत: बंद करने के लिए कम से कम एक क्लोजिंग स्प्रिंग, एक पिस्टन उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है। डोर क्लोज़र के माध्यम से दरवाजे के बंद होने की स्पीड को घटाया या बढ़ाया जा सकता है।

किसी व्यवसायिक ईमारत में बिल्डिंग के फायर अलार्म सिस्टम को भी डोर क्लोज़र से जोड़ा जा सकता है। ऐसे में स्वाभाविक है की डोर क्लोज़र का इस्तेमाल व्यवसायिक बिल्डिंग में पहले से होता आ रहा है। लेकिन अब लोग इनका इस्तेमाल घरों एवं अन्य भवनों के दरवाजों पर भी करने लगे हैं।

डोर क्लोज़र फैक्ट्री के लिए आवश्यक जगह/बिल्डिंग

खुद का बिजनेस शुरू करने के लिए किसी भी उद्यमी को जमीन और बिल्डिंग की आवश्यकता होती है। डोर क्लोज़र बनाने का बिजनेस शुरू करने के लिए उद्यमी को भीड़-भाड़ वाली जगह की आवश्यकता नहीं होती है। ऐसे में उद्यमी चाहे तो किसी ऐसी लोकेशन जहाँ पर किराया या जमीन सस्ती हो वहाँ पर भी इस तरह का यह बिजनेस शुरू करने के लिए जगह का प्रबंध कर सकता है।

चूँकि एक औद्योगिक सेटअप में विभिन्न पॉवर उपकरणों जैसे जनरेटर, युपीएस और बिजली उपकरणों और पैनल को इंस्टाल करने के लिए भी रूम की आवश्यकता होती है। और यही नहीं स्टोरेज के लिए अलग, विनिर्माण के लिए अलग, ऑफिस कार्यों के लिए अलग-अलग कमरों या सेक्शन की आवश्यकता होती है।

इस तरह से देखें तो डोर क्लोज़र निर्माण फैक्ट्री शुरू करने के लिए उद्यमी को कम से कम 1800-2000 वर्गफीट जगह की आवश्यकता हो सकती है।

शुरुआती दौर में उद्यमी को चाहिए की वह किसी बनी बनाई बिल्डिंग को किराये पर लेकर इस बिजनेस को शुरू करे। जिसका एक महीने का किराया ₹35000-40000 के बीच हो सकता है।

डोर क्लोज़र फैक्ट्री शुरू करने के लिए परमिशन/लाइसेंस

यह तो आप सभी अच्छी तरह जानते होंगे की भारत में कोई भी बिजनेस वैधानिक रूप से शुरू करने के लिए कई तरह के रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस की आवश्यकता हो सकती है।

ऐसे उद्यमी जो खुद की डोर क्लोज़र बनाने की फैक्ट्री शुरू करना चाहते हैं, उन्हें भी कई तरह के लाइसेंस और पंजीकरण कराने पड़ सकते हैं, जिनकी लिस्ट कुछ इस प्रकार से हैं:

  1. कंपनी रजिस्ट्रेशन: अपनी कंपनी का नाम मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉर्पोरेट की ऑफिसियल वेबसाइट से सर्च करके रजिस्टर कर सकते हैं।
  2. व्यवसाय संरचना: उद्यमी को अपने बिजनेस को प्रोप्राइटरशिप फर्म, वन पर्सन कंपनी, पार्टनरशिप फर्म इत्यादि में से किसी एक के तहत पंजीकृत कराने की जरुरत होती है।
  3. PAN कार्ड और बैंक खाता: व्यवसाय के नाम से PAN कार्ड बनाने और बैंक में करंट अकाउंट खोलने की जरुरत होती है।
  4. GST रजिस्ट्रेशन: टैक्स सम्बन्धी कार्यों के लिए।
  5. BIS लाइसेंस: डोर क्लोज़र का निर्माण ISI मानकों के अनुरूप होना चाहिए, इसलिए इसके लिए BIS लाइसेंस की भी जरुरत हो सकती है।
  6. ट्रेड लाइसेंस: स्थानीय प्राधिकरण से ट्रेड लाइसेंस या फैक्ट्री लाइसेंस लेने की भी जरुरत हो सकती है।
  7. सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्यम रजिस्ट्रेशन: विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए उद्यम रजिस्ट्रेशन कराने की भी जरुरत हो सकती है।
  8. एनओसी: फायर और पोल्यूशन डिपार्टमेंट से भी एनओसी की आवश्यकता हो सकती है।
  9. ब्रांड नाम रजिस्ट्रेशन: यदि उद्यमी खुद के ब्रांड नाम के तहत डोर क्लोज़र बेचना चाहता है, तो उसे ब्रांड नाम की सुरक्षा के लिए ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन करने की भी जरुरत होती है।

डोर क्लोज़र बनाने के लिए मशीनरी और उपकरण

इस बिजनेस (Door Closer Manufacturing) में इस्तेमाल में लायी जाने वाली मशीनरी और उपकरणों की लिस्ट कुछ इस प्रकार से है:

  • लाइट लेथ मशीन: धातु को आकार देने के लिए, जिसकी कीमत लगभग ₹4 लाख हो सकती है।
  • ड्रिल मशीन: धातु पर राउंड होल करने के लिए, जिसकी कीमत ₹95000 तक हो सकती है।
  • बेंच ग्राइंडर: कई तरह के टूल को तेज करने और ग्राइंड करने के लिए, जिसकी कीमत लगभग ₹75000 तक हो सकती है।
  • बेंच वाईस मशीन: जिसकी कीमत लगभग ₹60000 हो सकती है।
  • स्टम्पिंग प्रेस मशीन: धातु को इच्छित आकार प्रदान करने और उसे कट करने के लिए, जिसकी कीमत लगभग ₹5 लाख हो सकती है।
  • स्प्रे पेंट गन: जिसका इस्तेमाल धातु पर पेंट, वार्निश इत्यादि करने के लिए किया जाता है, इसकी कीमत ₹25000 तक हो सकती है।
  • अन्य उपकरण: जिन्हें खरीदने में उद्यमी को लगभग ₹50000 खर्चा करने की आवश्यकता हो सकती है।

उपर्युक्त दी गई लिस्ट से स्पष्ट है की डोर क्लोज़र बनाने का बिजनेस शुरू करने के लिए उद्यमी को लगभग ₹12.05 लाख तो सिर्फ मशीनरी और उपकरणों पर ही खर्चा करने की आवश्यकता होगी।

डोर क्लोज़र बनाने के लिए कच्चा माल

डोर क्लोज़र बनाने के लिए कच्चे माल की लिस्ट कुछ इस प्रकार से है:

  • नॉन पोरुस मेटल बॉडी
  • धातु से निर्मित प्लेट्स
  • स्प्रिंग्स
  • नट और वाल्व
  • लैक और पिनियन असेम्बली
  • वॉशर
  • हाइड्रोलिक्स पेंट
  • मेन आर्म्स और एडजस्टिंग आर्म
  • बेअरिंग और हाइड्रोलिक आयल

डोर क्लोज़र बनाने का बिजनेस शुरू करने के लिए कर्मचारी

बिजनेस चाहे सर्विस सेक्टर से जुड़ा हुआ हो या फिर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से, उसे ढंग से संचालित करने के लिए कर्मचारियों को नियुक्त करने की आवश्यकता होती है।

डोर क्लोज़र की फैक्ट्री को अच्छे ढंग से संचालित करने के लिए भी उद्यमी को कई पदों पर कर्मचारियों को भर्ती करने की आवश्यकता हो सकती है:

  • मशीन ऑपरेटर: 02
  • कुशल/अकुशल श्रमिक: 03
  • हेल्पर: 04
  • सेल्स पर्सन: 02
  • अकाउंटेंट/मैनेजर: 01

इस तरह से देखें तो उद्यमी को 12-13 कर्मचारियों को शुरूआती दौर में भर्ती करने की आवश्यकता हो सकती है।

डोर क्लोज़र का निर्माण कैसे किया जाता है (Manufacturing Process of Door Closer in Hindi):

डोर क्लोज़र की प्राथमिक बॉडी तैयार करने के लिए कास्टिंग का इस्तेमाल किया जाता है, यह कास्टिंग एक नॉन पोरुस पदार्थ का निर्माण करती है।

चूँकि एल्युमीनियम और लोहे से मिश्रित धातु को ढलाई यानी आकार देने के लिए उपयुक्त माना जाता है। इसलिए आम तौर पर डोर क्लोज़र निर्माण में इसी धातु का इस्तेमाल होता है। डोर क्लोज़र बनाने की प्रक्रिया को निम्न चरणों में पूर्ण किया जाता है:

  1. सबसे पहले बाज़ार से डोर क्लोज़र बनाने में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल को खरीद लिया जाता है, और फिर डोर क्लोज़र के साइज़ और शेप के आधार पर इसे वेरीफाई किया जाता है।
  2. उसके बाद इस धातु की बॉडी को दबाव के माध्यम से टेस्ट किया जाता है।
  3. उसके बाद इस बॉडी को वर्कशॉप में काटने की प्रक्रिया के लिए भेज दिया जाता है।
  4. मशीन का इस्तेमाल कर इस कच्चे माल को आकार देने का काम किया जाता है।
  5. डोर क्लोज़र का उत्पादन होने के बाद इसकी अस्सेम्बलिंग की जाती है।
  6. स्प्रिंग और अन्य उपकरणों को जोड़कर इसे फिक्स किया जाता है।
  7. अस्सेम्बलिंग के बाद ग्रीजिंग और ओयलिंग की प्रक्रिया का पालन किया जाता है।
  8. कंपनी का नाम स्टम्प करना और पेंटिंग की प्रक्रिया होती है।
  9. अंत में पैकेजिंग के लिए तैयार किया जाता है।

डोर क्लोज़र का खर्च

डोर क्लोज़र बनाने का बिजनेस शुरू करने में निवेश की आवश्यकता होती है। आइए, जानते हैं इस बिजनेस में कुल कितना खर्च आ सकता है:

प्रारंभिक खर्च (Initial Expenses)

  • किराया (तीन महीने): ₹1,20,000 (₹40,000 प्रति माह)
  • मशीनरी: ₹12.05 लाख
  • फर्नीचर और फिक्सिंग: ₹90,000
  • कार्यशील लागत (बिजली, पानी, वेतन, कच्चा माल इत्यादि): ₹6.3 लाख

कुल लागत

कुल लागत: ₹20.45 लाख

मुनाफा (Profit)

डोर क्लोज़र बनाने का बिजनेस शुरू करने के बाद यदि सब कुछ सही चलता है तो पहले वर्ष में, आपको लगभग ₹5.5 लाख का शुद्ध मुनाफा कमाने की उम्मीद हो सकती है।

निष्कर्ष

डोर क्लोज़र बनाने का बिजनेस न केवल लाभकारी है, बल्कि इसके लिए बाजार में उच्च मांग भी है। अगर आप सही तरीके से योजना बनाते हैं और आवश्यक कदम उठाते हैं, तो आप इस क्षेत्र में सफल हो सकते हैं।

अगर आपको डोर क्लोज़र बनाने के बिजनेस के बारे में कोई और जानकारी चाहिए तो आप पूछ सकते हैं!

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